Monday 4 July 2016

झुमती चली हवा

झुमती चली हवा

झुमती चली हवा, याद आ गया कोई
बुझती बुझती याद को फिर जला गया कोई

खो गयी हैं मंज़िलें, मिट गये हैं रास्ते
गर्दिशे ही गर्दिशे, अब हैं मेरे वास्ते
और ऐसे में मुझे, फिर बुला गया कोई

एक हुक सी उठी मैं सिहर के रह गया
दिल को अपने थाम के आह भर के रह गया
चांदनी की ओट से मुस्कुरा गया कोई

चूप हैं चाँद चाँदनी, चूप ये आसमान हैं
मीठी मीठी नींद में, सो रहा जहाँ हैं
आज आधी रात को क्यो जगा गया कोई

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